पिछले कुछ दिनों से देश की राजधानी और राजनीतिक सत्ता का केंद्र कहे जाने वाली दिल्ली ने ना केवल राजनीति गलियारों की चर्चाएँ बड़ा दी है बल्कि देश के सियासी खेल के इतिहास में भी नया अध्याय जोड़ दिया है और वो है “अग्निपरीक्षा” जी हाँ हम बात कर रहे है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने के बाद जेल से बाहर आये दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमीं पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल और आते ही उनके दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा तथा जनता के समक्ष अग्निपरीक्षा देने की आख़िर क्यों केजरीवाल ने लिया इस्तीफ़ा और जनता की अदालत में अग्निपरीक्षा देने का फैंसला, जानते है इसके पीछे की असली वजह
जेल से रिहा होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को लेकर एक अहम बयान देते हुए अपनी राजनीति और जीवन के उस पहलू पर चर्चा की, जिसे वे अपनी ईमानदारी और सिद्धांतों से जोड़ते हैं। केजरीवाल ने साफ़ किया कि मेरे पास जीवन की एक ही सबसे बड़ी पूँजी है और वो है मेरी ईमानदारी ना ही उनके बैंक अकाउंट में कोई पैसा है और ना ही उनके पार्टी के अकाउंट में उनके जीवन का मकसद कभी भी पैसे या पद हासिल करना नहीं, बल्कि देश की सेवा के लिए जुनून उनका मुख्य ध्येय रहा है।
साथ ही उन्होंने कहा कि वे इनकम टैक्स विभाग में कमिश्नर की नौकरी छोड़ चुके हैं, और वर्ष 2000 से लेकर 2010 तक उन्होंने दिल्ली की झुग्गियों में गरीबों के साथ समय बिताया। उनका कहना है कि उन्होंने करीब से देखा कि किस तरह गरीब लोग अपना जीवन जीते हैं। यदि उनकी मंशा सिर्फ पैसे कमाने की होती, तो वे इनकम टैक्स कमिश्नर की नौकरी क्यों छोड़ते?
केजरीवाल ने यह भी बताया कि जब उन्होंने नौकरी छोड़ी थी, तब उनका राजनीति में कोई प्रवेश नहीं था और न ही उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की योजना बनाई थी। उस समय, उनके सामने कोई राजनीतिक दल भी नहीं था।
अरविंद केजरीवाल ने कहा की मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना भी उनके लिये नई बात नहीं है केजरीवाल ने 49 दिनों की अपनी पहली सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपने वसूलों के लिए पहले भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। आज के दौर में जहां कोई छोटी नौकरी छोड़ने को तैयार नहीं होता, वहां उन्होंने अपने सिद्धांतों के लिये मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था। उनका कहना है कि पद और दौलत के प्रति उनका कोई मोह नहीं है, और वे सिर्फ देश की सेवा करना चाहते हैं।
अब सवाल यह उठता है कि केजरीवाल का यह बयान क्या दर्शाता है? क्या यह उनकी ईमानदारी का प्रमाण है, या फिर उनके विरोधियों की आलोचना को जवाब देने की रणनीति?
इस सवाल का जवाब खुद केजरीवाल ने जनता पर छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि अब जनता ही यह तय करेगी कि वे ईमानदार हैं या गुनाहगार।
केजरीवाल का यह फैंसला ऐसे समय में आया है जब उनकी पार्टी और सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि क्या केजरीवाल जनता की अदालत में देने वाली अग्निपरीक्षा में सफल हो पायेंगे?
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