Badshah Bahadur Shah Jafar

जब मिर्ज़ा ग़ालिब ने कहा "बना है शह का मुसाहिब फिरे है इतराता" होना पड़ा था दरबार में मुजरिम बनकर पेश

बात उस वक़्त की है बात जब ग़ालिब की प्रतिभा उस वक़्त के बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के दरबार तक नहीं…

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