ऑटिज़्म एक चिकित्सा निदान से कहीं अधिक है—यह एक गहरी भावनात्मक यात्रा है: बी. एस. जौहरी

नई दिल्ली। राजधानी के आनंद विहार स्थित विवेकानंद स्कूल में आज फ़िल्म "अलार्म" की प्रीमियर स्क्रीनिंग की गई। यह फिल्म ऑटिज़्म से प्रभावित लाखों परिवारों के मौन संघर्षों पर प्रकाश डालती है, जो अक्सर इसके मूल कारणों या संभावित समाधानों से अनजान रहते हैं। फिल्म के निर्देशक नीरज शर्मा ने कहा कि "अलार्म" एक सशक्त सिनेमाई पहल है, जिसका मकसद आनुवंशिक विकारों और ऑटिज़्म के बारे में जागरूकता बढ़ाना है—जो कि हमारे समय की दो सबसे चुनौतीपूर्ण और गलत समझी जाने वाली स्वास्थ्य समस्याएं हैं। उन्होंने कहा कि अलार्म के माध्यम से, हमारा मकसद लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना है कि होम्योपैथी ऐसे हालातों का मुकाबला करने और कुछ हद तक उसे बदलने के लिए एक सौम्य, समग्र और प्रभावी तरीका प्रदान करती है—खासकर तब, जब इसे जल्दी शुरू किया जाए। अलार्म के निर्माता डॉ. बी. एस. जौहरी ने कहा, 'ऑटिज़्म एक चिकित्सा निदान से कहीं अधिक है—यह एक गहरी भावनात्मक यात्रा है जो भ्रम, लाचारी और अकेलेपन से लबरेज है। कई माता-पिता उम्मीद और उपचार की व्यर्थ खोज जारी रखते हैं।'
यह फिल्म प्रसवपूर्व जागरूकता की तत्काल आवश्यकता पर भी ज़ोर देती है, क्योंकि कई आनुवंशिक विकारों की जड़ें गर्भावस्था में होती हैं। हम दृढ़ता से इस बात की वकालत करते हैं कि गर्भ संस्कार को हर अस्पताल की प्रसवपूर्व देखभाल में शामिल किया जाए और हर होम्योपैथिक अस्पताल में एक समर्पित जेनेटिक डिसॉर्डर ओपीडी स्थापित की जाए। स्क्रीनिंग में बड़ी संख्या में चिकित्सा और समाजसेवा से जुड़े गणमान्य लोगों ने फिल्म देखी और निर्माता-निर्देशक के प्रयासों की प्रशंसा की। इस अवसर पर भूतपूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल वी के चतुर्वेदी, स्याना बुलंदशहर के विधायक देवेन्द्र सिंह लोधी, विधायक संजय गोयल, प्रद्युमन आहूजा संवर्धिनी न्यास से माधुरी मराठे, अनुपम उपस्थित थे

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