इस्लाम की शिक्षा महान और मुसलमान जाहिल !
दुःखद घटना पर भी जश्न में लीन मुस्लिम समाज के लोग,शाहादत के दिन ढोलक, डीजे पर किया जश्न!
मुस्लिम समाज में एक बड़ी क़ौम को जाहिल कहा जाएं बूरा नहीं होगा आज का दिन मुहर्रम का है शाहादत का दिन कहा जाएं तो ग़लत नहीं होगा आज हमारे परिवार में किसी का इंतेकाल हो जाएं तो 10 से 15 दिन गम में डूबे रहते हैं अब ये जो ढोलक,डीजे बजा रहे हैं ये हसन और हुसैन के साथ है या यजीद के साथ है। क्योंकि हमने अपने बुजुर्गों से सुना था ढोलक तो यजीद ने बजाई थी सोचिएगा ईमान लिखूं या फिर ईमान के साथ बेईमान लिखूं?
इस्लाम की तालीम से दूर है मुसलमान
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक मोहर्रम का पहला महीना होता है, 1 तारीख से लेकर 10 तारीख तक गम का दिन या गम का महीना कहा जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि मोहर्रम के पहली तारीख में हजरत उमर का इंतेकाल हुआ था लेकिन मुस्लिम समाज का बड़ा हिस्सा इस बात को नहीं जानता, इस्लामिक इतिहास के अनुसार मोहर्रम की 10 तारीख में सबसे बड़ी दुःखद घटना और हज़रत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन इब्ने अली और उनके पूरे परिवार का कर्बला के मैदान में नमाज़ के दौरान हमला कर नरसंहार किया पर खैर मुस्लिम समाज में जितनी दूरी आज ईमान से है उतनी दूरी किसी और से नहीं। आज इस्लाम कि शिक्षा देखी जाएं दुनिया की सबसे मजबूत शिक्षा कल्चर और क़यामत तक का जिक्र है कैसे चलना है,उठना बैठना यहां तक के खाना कैसे हैं का जिक्र है पर ये सब किताबों में दफ़न होकर रह गया है इस लिए इस्लाम और मुसलमान दोनों अलग अलग है। इस्लाम की शिक्षा महान है और मुसलमान जाहिल।